यौन शोषण के मामले में पूर्व सभापति संदीप शर्मा को क्लिन चिट
पुलिस ने कोर्ट में पेश की एफआर
तो क्या पूर्व सभापति संदीप शर्मा की फिर होगी कांग्रेस में वापसी?
चित्तौड़गढ़. नगर परिषद चित्तौडग़ढ़ के पूर्व सभापति संदीप शर्मा के खिलाफ एक महिला की ओर से दर्ज कराया गया बहुचर्चित यौन शोषण का मामला दो अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और एक पुलिस उप अधीक्षक की ओर से की गई जांच में झूठा साबित हुआ है। इसके बाद सदर थाना पुलिस ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चित्तौडग़ढ़ के न्यायालय में अंतिम रिपोर्ट (एफआर) पेश कर दी है। तो अब यह माना जाए कि कांग्रेस में फिर से संदीप शर्मा की वापसी हो सकती है? पूर्व सभापति शर्मा का कार्यकाल समाप्त होने के चार दिन बाद ही 25 नवंबर 2024 एक विवाहिता ने सभापति पर दुष्कर्म करने एवं बंधक बनाकर रखने का प्रकरण यहां सदर थाने में दर्ज कराया था। पूर्व सभापति की याचिका पर उच्च न्यायालय जोधपुर ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। इसके बाद मामले की जांच पुलिस उप अधीक्षक गोपाल चंदेल ने की थी। जिसमें मामला झूठा पाया गया। विवाहिता ने असंतोष जताते हुए जांच बदलने की मांग की, जिस पर मामले की जांच उदयपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महिला अपराध एवं अनुसंधान हितेश मेहता को सौंपी गई। मेहता की ओर से की गई जांच में भी मामला झूठा पाया गया। इसके बाद विवाहिता ने मुख्यमंत्री कार्यालय में परिवाद पेश किया, जिस पर महानिरीक्षक पुलिस मुख्यमंत्री सुरक्षा के आदेश पर मामले की जांच सीआइडी सिविल राइट्स शाखा की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नवीता खोकर को सौंपी गई। इस जांच में भी मामला झूठा पाया गया। अंवेषण अधिकारियों ने उच्च न्यायालय में पेश होकर बताया कि यौन शोषण का मामला भावावेश में झूठे तथ्यों का समावेश कर दर्ज करवाया गया है, जिसमें पूर्व सभापति शर्मा निर्दोष है और उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता। इसलिए पुलिस ं संबंधित न्यायालय में एफआर (अंतिम रिपोर्ट) पेश करने जा रही है। गौरतलब है कि मामला दर्ज होने के बाद पूर्व सभापति ने एफआइआर को रद्द करने के लिए धारा 482 में उच्च न्यायालय जोधपुर की शरण ली। 17 दिसंबर 2024 को उच्च न्यायालय ने शर्मा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी, जो अंतिम रिपोर्ट पेश करने तक जारी रही। पूर्व सभापति की पत्नी ने आईजी उदयपुर को परिवाद देकर प्रकरण की निष्पक्ष जांच के लिए अग्रिम अनुसंधान चित्तौडग़ढ़ जिले के बाहर करवानेकी मांग की थी। 3 फरवरी 2025 को आईजी उदयपुर ने प्रकरण की जांच लीव रिजर्व पुलिस उप अधीक्षक गोपाल चंदेल को सौंपी। इसके बाद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महिला अपराध उदयपुर हितेश मेहता को जांच सौंपी गई। मेहता ने 9 अप्रेल को उच्च न्यायालय में रिपोर्ट पेश कर बताया कि पूर्व सभापति के खिलाफ दर्ज कराया गया प्रकरण जांच में झूठा पाया गया है। इसके बाद तीसरी बार जांच में सिविल राइट्स शाखा की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नवीता खोकर ने 4 अगस्त व 11 अगस्त को उच्च न्यायालय में प्रकरण की तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश की, जिसमें प्रकरण को झूठा पाया जाना पूर्व सभापति शर्मा के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनना मानते हुए उन्हें निर्दोष माना इस पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने 30 दिन में अंतिम रिपोर्ट संबंधित न्यायालय में पेश करने के निर्देश दिए। जिसकी पालना में सदर थाना प्रभारी निरंजन प्रताप सिंह ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चित्तौडग़ढ़ के समक्ष प्रकरण को झूठा मानते हुए एफ आर पेश की। गौरतलब है कि राज्य सरकार के नियमों के अनुसार किसी भी प्रकरण की अधिकतम जांच तीन बार हो सकती है। इस प्रकरण की जांच भी तीन बार पूरी हो चुकी हैं। कांग्रेस ने कर दिया था शर्मा को निष्कासित कांग्रेस पार्टी की ओर से गत २६ मार्च को जिला कांग्रेस की रिपोर्ट पर पूर्व सभापति संदीप शर्मा को छह वर्ष के लिए पार्टी की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया था जिसमें कहा गया था कि शर्मा के अनैतिक कृत्यों से पार्टी की छवि खराब हुई है। ऐसे में शर्मा को अब पुलिस की ओर से दुष्कर्म जैसे आरोप से क्लिनचिट मिलने के बाद एक बार भी कांग्रेस में सियासत गरमा सकती है।
